Monday 2 May 2011

काँच की बरनी और दो कप चाय


काँच की बरनी और दो कप चाय - एक बोध कथा

जीवन में जब सब कुछ एक साथ और जल्दी-जल्दी करने की इच्छा होती हैसब कुछ तेजी से पा लेने की इच्छा होती हैऔर हमें लगने लगता है कि दिन के चौबीस घंटे भी कम पड़ते हैंउस समय ये बोध कथा, "काँच की बरनी और दो कप चायहमें याद आती है ।दर्शनशास्त्र के एक प्रोफ़ेसर कक्षा में आये और उन्होंने छात्रों से कहा कि वे आज जीवन का एक महत्वपूर्णपाठ पढाने वाले हैं...उन्होंने अपने साथ लाई एक काँच की बडी़ बरनी (जार)टेबल पर रखा और उसमें टेबल टेनिस की गेंदें डालने लगे और तब तक डालते रहे जब तक कि उसमें एक भी गेंद समाने की जगह नहीं बची...उन्होंने छात्रों से पूछा - क्या बरनी पूरी भर गई हाँ... आवाज आई...फ़िरप्रोफ़ेसर साहब ने छोटे-छोटे कंकर उसमें भरने शुरु कियेधीरे-धीरे बरनी को हिलाया तो काफ़ी सारे कंकर उसमें जहाँ जगह खाली थीसमा गयेफ़िर से प्रोफ़ेसर साहब ने पूछाक्या अब बरनी भर गई हैछात्रों ने एक बार फ़िर हाँ.. कहा अब प्रोफ़ेसर साहब ने रेत की थैली से हौले-हौले उस बरनी में रेत डालना शुरु कियावह रेत भी उस जार में जहाँ संभव था बैठ गईअब छात्र अपनी नादानी पर हँसे... फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने पूछाक्यों अब तो यहबरनी पूरी भर गई ना हाँ.. अब तो पूरी भर गई है.. सभी ने एक स्वर में कहा..सर ने टेबल के नीचे से चाय के दो कप निकालकर उसमें की चाय जार में डालीचाय भी रेत के बीच में स्थित थोडी़ सी जगह में सोख ली गई...प्रोफ़ेसर साहब ने गंभीर आवाज में समझाना शुरु किया इस काँच की बरनी को तुम लोग अपना जीवन समझो... टेबल टेनिस की गेंदें सबसे महत्वपूर्ण भाग अर्थात भगवानपरिवारबच्चेमित्रस्वास्थ्य और शौक हैं,छोटे कंकर मतलब तुम्हारी नौकरीकारबडा़ मकान आदि हैंऔर रेत का मतलब और भी छोटी-छोटी बेकार सी बातेंमनमुटावझगडे़ है..अब यदि तुमने काँच की बरनी में सबसे पहले रेत भरी होती तो टेबल टेनिस की गेंदों और कंकरों के लिये जगह ही नहीं बचतीया कंकर भर दिये होते तो गेंदें नहीं भर पातेरेत जरूर आ सकती थी...ठीक यही बात जीवन पर लागू होती है...यदि तुम छोटी-छोटी बातों के पीछे पडे़ रहोगे और अपनी ऊर्जा उसमें नष्ट करोगे तो तुम्हारे पास मुख्य बातों के लिये अधिक समय नहीं रहेगा... मन के सुख के लिये क्या जरूरी है ये तुम्हें तय करना है । अपने बच्चों के साथ खेलोबगीचे में पानी डालोसुबह पत्नी के साथ घूमने निकल जाओघर के बेकार सामान को बाहर निकाल फ़ेंकोमेडिकल चेक-अपकरवाओ..टेबल टेनिस गेंदों की फ़िक्र पहले करो, वही महत्वपूर्ण है... पहलेतय करो कि क्या जरूरी है... बाकी सब तो रेत है..छात्र बडे़ ध्यान से सुन रहे थे.. अचानक एक ने पूछा, सर लेकिन आपने यह नहीं बताया कि "चायके दो कपक्या हैं ?प्रोफ़ेसर मुस्कुराये, बोले.. मैं सोच ही रहा था कि अभी तक ये सवाल किसी ने क्यों नहीं किया... इसका उत्तर यह है कि, जीवन हमें कितना ही परिपूर्ण और संतुष्ट लगे, लेकिन अपने खास मित्र के साथ दो कप चाय पीने की जगह हमेशा होनी चाहिये |

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